Monday, December 1, 2008

अपनों ने ही की सरकार की फजीहत

अपनों ने ही की सरकार की फजीहत

Dec 02, 01:35 am
नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। मुंबई हमलों के बाद यूपीए के घटक दल अगर सरकार की इतनी फजीहत न करते तो शायद पाटिल को रवाना करने के बाद सरकार कुछ ठहर भी जाती, लेकिन रविवार को यूपीए की बैठक में घटक दलों ने जो तेवर दिखाए उसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री की रवानगी का फैसला भी लाजिमी हो गया। उस बैठक में घटक दलों का गुस्सा देख सरकार के प्रबंधक हक्का-बक्का थे और सहयोगियों के सवालों का उनके पास कोई जवाब नहीं था।
सूत्रों के मुताबिक रविवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निवास पर सर्वदलीय बैठक के पहले सरकार को सिर्फ इसलिए संप्रग की बैठक बुलानी पड़ी कि कहीं घटक दल उस बैठक में बखेड़ा न कर दें। सहयोगी दल सर्वदलीय बैठक में तो चुप रहे लेकिन इस बैठक में उन्होंने आतंकी हमले के बहाने सरकार के साढ़े चार साल के कामकाज के तरीके को ही धोकर रख दिया।
सूत्रों की मानें तो रेल मंत्री व राजद अध्यक्ष लालू यादव ने तो यहां तक कह दिया कि सुरक्षा मामलों, देश में हो रहे विस्फोटों, राज्यपालों और संवेदनशील पदों पर अफसरों की तैनाती जैसे मसलों में सरकार ने क्या कभी सहयोगियों से कोई मशविरा किया है। देखा जाए तो परोक्ष रूप से संप्रग नहीं, सिर्फ कांग्रेस की सरकार चल रही है। देश में जिस तरह हमले हो रहे हैं, सरकार सख्त और बड़े कदम उठाए बिना बच नहीं सकती। बताते हैं कि बैठक में मौजूद सरकार के अहम मंत्री - प्रणब मुखर्जी, पी. चिदंबरम, ए.के. एंटनी - के अलावा अहमद पटेल जैसे नेता निरुत्तर थे।
बैठक में मौजूद सपा महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव और अमर सिंह ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया। अमर सिंह ने सरकार से सीधा सवाल किया कि महज केंद्रीय गृह मंत्री के इस्तीफे का मतलब क्या है? जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख अपने बेटे के साथ फिल्म निर्माता रामगोपाल वर्मा को लेकर ताज होटल जाते हैं। देश की जनता गुस्से में है और उन्हें फिल्म बनाने की सूझ रही है। जबकि महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर.आर. पाटिल सबसे बड़े आतंकी हमले को 'छोटी-मोटी' घटना बता रहे हैं। एक नेता ने यहां तक कहा, 'हमारी याद सरकार को तभी आती है, जब भाजपा या राजग पर हमला बोलना होता है।'
सूत्र बताते हैं कि सरकार के खिलाफ बने माहौल को देखते हुए एनसीपी प्रमुख और कृषि मंत्री शरद पवार ने अपनी भड़ास कुछ यूं निकाली। उन्होंने अमर सिंह की ओर इशारा करते हुए कहा कि सपा ने तो कुछ महीने पहले ही ही इन्हें समर्थन दिया है। हम तो साढ़े चार साल से देख रहे हैं कि कैसे क्या करते हैं। बताते हैं कि उसके बाद कांग्रेस नेताओं ने सत्ता में फिर राजग के लौटने के खतरे का हवाला देकर संप्रग की एकजुटता पर ज्यादा जोर दिया।
यही वजह थी कि प्रधानमंत्री के यहां हुई बैठक में सहयोगियों का गुस्सा कुछ हद तक कम था। फिर भी सपा मुखिया मुलायम ने सरकार को वहां भी चेताने में कोताही नहीं की।

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