Wednesday, December 24, 2008

सबके विश्वास पर खरा उतरूंगा- हेमाराम

। राजस्व मंत्री बनने के बाद बुधवार को पहली बार बाडमेर पहुंचे गुडामालानी विधायक हेमाराम चौधरी का लोगों ने गांव गांव मे स्वागत किया। बाडमेर जिले की सीमा से शुरू हुआ यह सिलसिला बाडमेर मुख्यालय तक चला। जिला मुख्यालय पर कांग्रेस की ओर से आयोजित समारोह में जिले भर के कांग्रेस के सैकडों लोग पहुंचे। स्थानीय डाक बंगले में आयोजित इस समारोह को संबोधित करते हुए राजस्व मंत्री ने कहा कि जिले की जनता और कांग्रेस संगठन के विश्वास के कारण ही वे इस पद तक पहुंचे हैं। अब उनका दायित्व और बढ जाता है कि जिले की समस्याओं का समाधान करवाएं। राजस्व महकमे में रहते हुए जिले में दो सौ की आबादी के राजस्व गांव बनाने व राजस्व की समस्याओं के निराकरण करने के लिए जरूरत पडने पर नियमों में संशोधन की प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी।

सीसुब एडीजी ने लिया हालात का जायजा

सीमा सुरक्षा बल के अतिरिक्त महानिदेशक (पश्चिम) यू.के. बंसल ने बुधवार को पश्चिमी सरहद पर उत्पन्न हालात का जायजा लेने के बाद सीसुब अधिकारियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने और सीमा पार की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखने के निर्देश दिए हैं।तीन दिवसीय यात्रा पर जोधपुर पंहुचे बंसल ने बुधवार सुबह यहां मण्डोर मार्ग स्थित सीसुब के राजस्थान सीमान्त मुख्यालय में महानिरीक्षक के.एल. मीणा व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक में सरहद पर उत्पन्न हालात की समीक्षा की। इसके बाद वे मीणा के साथ जैसलमेर व बाडमेर के दौरे पर निकल गए। इससे पहले सीमान्त मुख्यालय के हेलीपेड पर उतरे बंसल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।बंसल ने पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा कि मुम्बई पर आतंककारी हमलों के बाद उत्पन्न स्थिति पर बीएसएफ नजर रखे हुए हैं। सीमा पर हालात तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है। सीमा पार की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। सीमा के हालात के बारे में उन्होंने कहा कि सीसुब हमेशा ही अलर्ट पर रहता है। वतर्मान हालात के मद्देनजर अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है। उन्होंने सीमा पर तनाव की बात तो मानीं, लेकिन स्थितियों को असामान्य मानने से इनकार कर दिया।राजस्थान से सटी सीमा पर पोलपट्टी व सीमा पार से मादक पदार्थ आने की घटनाओं के बारे में उन्होंने कहा कि इस बारे में गम्भीरता से जांच करवाई जा रही है। दोषी लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। तंजानियाई नागरिकों से गत दिनों जोधपुर में बरामद हेरोइन बाडमेर के रास्ते पाकिस्तान से आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सीसुब व पुलिस के अलावा अन्य एजेंसियां भी इसकी पडताल कर रही है। सीसुब ने पकडे गए आरोपियों का नारको टेस्ट करवाने का अनुरोध किया है। शीघ्र ही स“ााई सामने आ जाएगी।

Tuesday, December 16, 2008

मजहब बदलो, या फिर देश Dec 16

अमृतसर, संवाददाता। मुंबई आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों में आई 'खटास' का 'कहर' पाक में रहने वाले हिंदू परिवारों पर टूटने लगा है। पिछले कुछ दिनों में हिंदू परिवारों की महिलाओं से दुष्कर्म एवं उनकी दुकानें व घरों को लूटा गया। उन्हें मजबूर किया जा रहा है कि या तो वह मजहब बदल लें या फिर देश। हिंदू परिवार वहां से पलायन करके यहां आ रहे हैं।
सोमवार को समझौता एक्सप्रेस से आए दो हिंदू परिवारों ने अपनी दुखभरी कहानी मीडिया को बताई। वहां से आने वालों में खन्या देवी [50] मुकेश [30], शोभा [28], शिवानी [4], वीर [2], सुरेश कुमार [25], कविता [23], साइना [7], शिवराज [4] व विसाखा [3] शामिल हैं। सिंध प्रांत से भारत पहुंचे दोनों परिवारों ने कहा कि वह किसी कीमत पर पाकिस्तान नहीं जाना चाहते। अगर भारत सरकार ने उन्हें यहां पर रहने की इजाजत नहीं दी तो वे पूरे परिवार के साथ ट्रेन से कटकर जान दे देंगे। हिंदू परिवारों का कहना है कि पाक में वही हाल दोहराया जा रहा है जो बंटवारे के दौरान हुआ था। वहां के जमींदार व पुलिस खुद यह घिनौना खेल खेलने में लगी है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अब हिंदू परिवारों का रहना मुश्किल हो गया है। बहू-बेटियों से दुष्कर्म किया जा रहा है। बच्चों को अगवा करके फिरौती मांगी जा रही है। वहां के हुक्मरान का यही सवाल है कि या तो मजहब बदल लो या फिर देश। उन्होंने बताया कि 45 दिन का वीजा उन्हें मिला है, लेकिन वह भारतीय हुकूमत से भारत में शरण देने की गुजारिश करेंगे। इन लोगों का कहना है कि ऐसे करीब 35 हिंदू परिवार हैं जो कि भारत आने के लिए पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास के चक्कर लगा रहे हैं।
अब चार चक्र की सुरक्षा से गुजरना होगा
भारत-पाकिस्तान के बीच बनते-बिगड़ते हालातों को लेकर समझौता एक्सप्रेस में मुसाफिरों की गिनती कम हुई है। साथ ही पाकिस्तान से आने वाले मुसाफिरों की जांच के लिए स्पेशल टीमों का गठन किया गया है। हरेक मुसाफिरों को चार बार सुरक्षा कवच से गुजरने के बाद क्लीन चिट दी जा रही है। खुफिया विभाग की माने तो समझौता एक्सप्रेस भी आतंकियों के निशाने पर है। इसलिए सुरक्षा और पुख्ता कर दी गई है।

Monday, December 15, 2008

ट्रक जीप पर चढा, छह की मौत गुडामालानी=SANCHOR ।

सांचोर /राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या पंद्रह पर स्थित गांधव पुल पर शनिवार रात करीब साढे दस बजे कोयले से भरा एक ट्रक ओवरटेक के प्रयास में सामने से आ रही जीप पर चढ गया, जिससे जीप मे सवार एक ही परिवार के छह जनों की मृत्यु हो गई। बाद में दोनों वाहन पुल से करीब चालीस फीट नीचे जा गिरे। जीप में सवार सभी लोग सांचौर के रणोदर गांव के रहने वाले थे और एक विवाह समारोह में शरीक होने के लिए गुडामालानी क्षेत्र के मौखावा गांव आ रहे थे।
गुडामालानी थानाघिकारी रामसिंह राजपुरोहित ने बताया कि गांधव पुल पर बाडमेर से सांचौर की तरफ जा रहे ट्रक चालक मूलाराम पुत्र दयाराम निवासी भोजासर ने तेज गति व लापरवाही से ट्रक ओवरटेक का प्रयास किया। इस दौरान ट्रक सामने से आ रही जीप पर चढ गया, जिससे जीप में सवार बाबूलाल (36) पुत्र धीमाराम, श्रीमती पांचूदेवी (33) पत्नी बाबूलाल, कुमारी मीरां (14) पुत्री बाबूलाल, रतनाराम (40) पुत्र मुकनाराम, श्रीमती केशीदेवी (35) पत्नी रतनाराम तथा जीप चालक सदराम (40) पुत्र जोधाराम निवासी रणोदर सांचौर की मृत्यु हो गई। तेज गति में होने के कारण ट्रक ने जीप को चकनाचूर कर दिया।
टक्कर के बाद ट्रक व जीप दोनों पुल से करीब चालीस फीट नीचे जा गिरे। इस बीच ट्रक चालक व खलासी ट्रक से कूद गए और फरार हो गए। घटना की सूचना मिलते ही गुडामालानी पुलिस मौके पर पहुंची और मृतकों के शव बरामद किए। रविवार को पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए गए। गुडामालानी थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई है। ट्रक चालक व खलासी की तलाश की जा रही है।

Friday, December 12, 2008

साध्वी से पूछा गया था, क्या वे कुंवारी हैं?

ADALAT KO दिए गए साध्वी प्रज्ञा के बयान ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या एक महिला होने के नाते साध्वी प्रज्ञा को पुलिस हिरासत में अपने सम्मान की सुरक्षा का कोई अधिकार नहीं था। जेल में साध्वी पर भीषण अत्याचार किए गए। उनसे पूछा गया कि ‘‘ क्या वे कुंवारी ‘ हैं ?’’ उन्हें पीटा गया। उनके पांव , तलवे , हथेलियों व तलवों पर चोटें दी गईं। उन्हें नारको टेस्ट से गुजारा गया। साध्वी ने अपने बयान में कहा कि कई बार उनके मन में आया कि वे आत्महत्या कर लें। इस घटना पर राष्ट्रीय महिला आयोग चुप रहा। यह वही महिला आयोग है जो राखी सावंत जैसी आइटम गर्ल के लिए तुरंत सक्रिय हुआ था। राखी सावंत के साथ महिला आयोग की अधिकारियों ने फोटो खिंचवाई थी और इन सबसे आइटम गर्ल का काम - काज ही बढ़ा। कश्मीर में आशिया अंदरावी कट्टर इस्लामी संगठन दुख्तराने मिल्लत की अध्यक्ष हैं। उन पर अमेरिका ने आरोप लगाया था कि श्रीनगर के एक बम धमाके में उनके संगठन का हाथ था। जिसमें एक पत्रकार मारा गया था। भारतीय गुप्तचर एजंसियों ने उन पर हवाला से पैसा लेकर जिहादी आतंकवादियों को देने का आरोप लगाया और पोटा के अंतर्गत जेल में डाला। देश के खिलाफ और आतंकवादियों के समर्थन में काम करने वाली इस महिला को जेल में सब सुविधाएं दी गईं और बाद में छोड़ भी दिया गया। साध्वी प्रज्ञा पर अभी तक कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। वह देश के खिलाफ काम नहीं करतीं। साध्वी धार्मिक महिला हैं। फिर भी उन पर इतना अत्याचार क्यों ? हिन्दू समाज स्वभावतः कभी धर्म के आधार पर आतंकवाद करने वाली गतिविधियों का समर्थन नहीं कर सकता। नाथू राम गोडसे ने हिन्दू समाज का जितना अहित किया उसका कोई लेखा - जोखा नहीं कर सका है। पर गांधी विश्व वन्द्यः माने गए , आज वे दुनिया में भारत की श्रेष्ठतम पहचान हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लाखों स्वयंसेवक प्रतिदिन पढ़े जाने वाले प्रातः स्मरण में सुबह गांधी जी का नाम लेते हैं। जिन इस्लामी देशों में आतंकवाद पनप रहा है वहां की दुर्दशा हिन्दू समाज देखता व समझता है। आज दुनिया भर में हिन्दू उद्योग , व्यापार , प्रौद्योगिकी विज्ञान कम्यूटर इंजीनियरिंग आदि क्षेत्रों में शिखर पर दिखते हैं।

इस्माइल ने मारा था करकरे को Dec 12,

मुंबई में 26 नवंबर को हुए आतंकी हमलों के दौरान गिरफ्तार किए गए आतंकी मोहम्मद अजमल आमिर ईमान के एक सहयोगी आतंकी इस्माइल खान ने कामा अस्पताल में तीन पुलिस अधिकारियों को मारा था। यह बात पुलिस द्वारा दर्ज किए गए अजमल के बयान में सामने आई है।
अजमल ने कहा कि अस्पताल में उसके हाथ में गोली लग जाने के बाद इस्माइल खान ने आतंकवाद निरोधी दस्ता [एटीएस] प्रमुख हेमंत करकरे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त [एसीपी] अशोक काम्टे और मुठभेड़ विशेषज्ञ विजय सालस्कर को गोली मारी थी। अजमल के मुताबिक सीएसटी में लोगों को बंधक बनाने की साजिश नाकाम रहने के बाद वे आगे बढ़ गए और एक इमारत [कामा अस्पताल] में घुस गए। दोनों ने जब अस्पताल से बाहर निकलने का फैसला किया तो उन्होंने एक पुलिस वाहन को देखा। अजमल ने कहा कि कुछ समय बाद एक और वाहन हमारे पास से गुजरा और कुछ ही दूरी पर रुक गया। अजमल ने कहा कि इन दोनों वाहनों में से किसी एक में करकरे, काम्टे और सालस्कर अस्पताल पहुंचे थे। उसने कहा कि एक पुलिस अधिकारी वाहन से उतरा और हम पर गोलीबारी शुरू कर दी। एक गोली मेरे हाथ में लगी और मेरी एक-47 मेरे हाथ से गिर गई। जब मैं इसे उठाने के लिए झुका तो एक और गोली मेरे इसी हाथ पर आकर लगी।
उसने कहा, तब इस्माइल ने वाहन में बैठे अधिकारियों पर गोलियां बरसा दीं। वे घायल हो गए और उनकी तरफ से गोलीबारी रुक गई। हम कुछ देर इंतजार करने के बाद वाहन की ओर गए। अजमल का कहना था कि वाहन में तीन शव थे। इस्माइल ने शवों को निकाला और वाहन का चलाया।

Wednesday, December 3, 2008

स्टील कीमतों में और कटौती के आसार Dec 04,

नई दिल्ली। चीन से डंपिंग [सस्ते आयात की बाढ़] के डर से घरेलू स्टील कंपनियां जल्दी ही स्टील के दाम घटा सकती हैं। इस मामले में देश की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी सेल ने पहले ही पहल कर दी है। सेल ने इसी महीने स्टील के चुनिंदा उत्पादों की कीमतों में 1600 रुपये प्रति टन की कटौती की है। एस्सार स्टील, जेएसडब्ल्यू और इस्पात इंडस्ट्रीज जैसी देश की प्रमुख स्टील उत्पादक कंपनियां भी कीमत कटौती के कदम पर विचार कर रही हैं।
देश में पहले ही हाट-रोल्ड क्वाइल के दाम 55 हजार के उच्चतम स्तर से घटकर 32 हजार रुपये प्रति टन पर आ चुके हैं। मंदी के चलते घरेलू स्टील कंपनियां अब तक कीमतों और उत्पादन में 30 फीसदी की कटौती कर चुकी हैं। आयात की बाढ़ से घरेलू उद्योग को बचाने के लिए ही पिछले महीने सरकार ने आयरन और स्टील उत्पादों पर पांच फीसदी का सीमा शुल्क लगा दिया था। कुछ दिन पहले चीन ने स्टील उत्पादों के निर्यात पर लगा 5 फीसदी का निर्यात शुल्क हटा लिया है। इसके चलते पांच फीसदी का सीमा शुल्क बेअसर हो चुका है। इसलिए अब भारतीय बाजार में फिर से यहां के उत्पादों की बाढ़ आने का खतरा पैदा हो सकता है।
स्टील उत्पादों के दाम घटाने के बारे में निजी कंपनियों के आला अफसरों का कहना है कि वे भी अंतरराष्ट्रीय कीमतों का रुख देखते हुए कोई फैसला करेंगे। उद्योग की शिकायत पर वाणिज्य मंत्रालय ने स्टील उत्पादों की विदेश से हो रही डंपिंग की जांच शुरू कर दी है।

हवाई मार्ग से हमला कर सकते हैं आतंकी Dec 03

नई दिल्ली। मुंबई में भारतीय समुद्र तटों की सुरक्षा पहले ही भेदी जा चुकी है इसके बाद रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बुधवार को सशस्त्र बलों को हवाई रास्ते से संभावित खतरे के प्रति आगाह किया जैसा कि अमेरिका में 9/11 का हमला था।
एंटनी ने सशस्त्र बलों को हवाई रास्ते से संभावित आतंकी खतरे का जवाब देने के लिए तैयार रहने और अल-कायदा द्वारा व‌र्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले जैसे घटनाक्रम की पुनरावृत्ति न होने देने के लिए तैयार रहने को कहा।
तीनों सेनाओं के प्रमुखों और रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक में एंटनी ने सभी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय का आह्वान किया। बैठक में नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरीश मेहता वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल फली होमी मेजर थलसेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर और रक्षा सचिव विजय सिंह मौजूद थे। मुंबई आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान द्वारा अपनी सेना को हाई एलर्ट करने की खबरों के मद्देनजर बैठक में नियंत्रण रेखा [एलओसी] पर स्थिति की समीक्षा की गई।
सूत्रों ने कहा कि एंटनी ने आतंकियों द्वारा जमीनी मार्ग से घुसपैठ को रोकने के लिए एलओसी के आसपास सुरक्षाऔर सतर्कता मजबूत करने के सशस्त्र बलों के कदमों पर बातचीत की। दरअसल आतंकियों के प्रशिक्षण और भर्ती के लिहाज से पाक अधिकृत कश्मीर [पीओके] एक महत्वपूर्ण इलाका माना जाता है।

फिर तबाही से बची मुंबई Dec 03

मुंबई। लगता है मुंबई अभी भी आतंकी साये से पूरी तरह मुक्त नहीं हुई है। देश का सबसे बड़ा आतंकी हमला झेलने के एक सप्ताह बाद ही यहां आरडीएक्स से भरे दो बैग मिले हैं। इनमें चार किलो आरडीएक्स भरा था।
यह बरामदगी उसी छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन पर हुई है, जहां आतंकियों ने 26 नवंबर को अंधाधुंध फायरिंग कर करीब 50 लोगों को मौत की नींद सुला दी थी। गनीमत रही कि आरडीएक्स का पता विस्फोट होने से पहले लग गया।
पुलिस के संयुक्त आयुक्त राकेश मारिया ने बताया कि यह आरडीएक्स उन्हीं आतंकियों के लावारिस सामान से मिला है, जिन्होंने पिछले सप्ताह मुंबई के इस स्टेशन पर कहर बरपाया था। मारिया ने बताया कि स्टेशन परिसर में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।

तमिलनाडु में निशा छोड़ गया तबाही के निशान Nov 28,

चेन्नई। भीषण चक्रवात 'निशा' गुरुवार तड़के तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों को पार कर गया और अपने पीछे छोड़ गया भारी तबाही। पिछले तीन दिनों में बारिश और चक्रवात ने 60 से अधिक लोगों की जान ली, जबकि हजारों को बेघर कर दिया। मुख्यमंत्री करुणनिधि ने राहत और बचाव कार्य के लिए सौ करोड़ देने की घोषणा की है।
राज्य में तीन दिनों से हो रही बारिश से यहां का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। चक्रवात से सबसे ज्यादा तबाही नगापत्तिनम, तंजावुर, तिरुवरूर और कुड्डालोर जिलों में हुई। इन जिलों के तकरीबन सौ गांव प्रभावित हुए। मौसम विभाग ने कहा है कि तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में लगभग सभी स्थानों पर अगले 24 घंटों में इसके प्रभाव से तेज बारिश होगी। यहां गुरुवार सुबह साढ़े आठ बजे से ही बारिश हो रही है। मछुआरों को समुद्र में नहीं जाने की सलाह दी गई है। पिछले 24 घंटे में चेन्नई में 14 सेमी बारिश दर्ज की गई है।

Tuesday, December 2, 2008

Jambho Ji:

Launched the eco-religious revolution known as Bishnoism at Samrathal Dhora on eighth day of black fortnight of the month of Kartika (Indian Lunar Calender) in 1485 A.D. Jambho ji, was born in a remote village Pipasar in 1451 A.D. He was the only child of his parents i.e. Father,Lohat ji Panwar and Mother, Hansa Devi. For first 7 years, Jambho ji was a silent, introvert child. He also spent a lot of time (27 years) as a cowboy like Lord Krishna (Incidentally both had an identical Birth day i.e. Janmashtami!)
At a age of 34, Jambho ji founded Bishnoi religion. His teachings were in poetic form,known as Shabadwani. Although, he preached for next 51 years, travelling across the country, only 120 Shabads i.e. verses of Shabadwani, are available at present. Even these 120 shabads are a source of great wisdom and are sufficent for an individual to understand and follow his path.
Bishnoism, as mention earlier revolves around 29 commandments.Out of these 29 commandments, 8 prescribe to preserve bio diversity and encourage good animal husbandry.7 Commandments provide directions for healthy social behaviour. 10 commandments are directed towrds personal hygiene and maintaining basic good health. Rest 4 commandments provide guidelines for worshipping God daily.
Bishnoi community observes socio-religious gatherings known as Melas twice a year at Mukam where Guru ji’s mortal frame was consigned to earth in 1536 A.D.
In a nutshell, Jambho ji was a great visionary, who had forseen the consequences of man’s actions destroying nature for economic development. He saw the need for environmental protection and weaved his principals into religious commandments so that people can internalise those principals easily.

राजस्थान में बाडमेर सांचोर बेसिन में खोजे गए लगभग 480 मिलियन टन खनिज तेल के भंडार

'राजस्थान में बाडमेर सांचोर बेसिन में खोजे गए लगभग 480 मिलियन टन खनिज तेल के भंडारों का दोहन वर्ष 2009 से संभावित है। इसके अतंर्गत 1800 करोड़ रु. का निवेश उत्पादन हेतु मूलभूत ढाँचा विकसित करने में प्रक्रियाधीन है।राजस्थान सरकार के पेट्रोलियम विभाग की वर्ष 2008-09 के आय व्ययक में यह जानकारी दी गई है। ओएनजीसीएल एवं ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा राज्य में क्रमशः 1956 एवं 1985 से पेट्रोलियम अन्वेषण का कार्य आरंभ किया गया जिसमें 11790 मिलियन घन मीटर गैस, 114.60 हैवी ऑयल एवं 33.2 मिलियन टन बिटुमिन के भंडार सिद्व किए गए हैं। राज्य में गत चार वर्षों के दौरान 152 तेल गैस कुओं की रिकॉर्ड खुदाई की गई है जिसमें लगभग 1600 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है तथा खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस के वृहद भंडारों की खोज की गई है। वर्तमान में राज्य को पेट्रोलियम सेक्टर के अंतर्गत गैस उत्पादन से लगभग 900 लाख रु. का राजस्व अर्जित हो रहा है तथा आगामी वर्षों में खनिज तेल के उत्पादन से रायल्टी के रूप में उल्लेखनीय गैर कर राजस्व प्राप्त होगा तथा सहायक उद्योगों के साथ-साथ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे तथा क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं का विकास होगा।हाल ही में जैसलमेर बेसिन के शाहगढ़ क्षेत्र में फोकस एनर्जी द्वारा तीन कुओं में तथा चिन्नोवाला टीब्बा क्षेत्र में ओएनजीसी द्वारा दो कुओं में उच्च गुणवत्ता के विस्तृत गैस भंडारों की खोज की गई है जिनका आकलन किया जा रहा है। यह गैस पाकिस्तान के स्वान एवं मियानो गैस भंडारों के समकक्ष है। राज्य में गैस ग्रिड की स्थापना हेतु आर्थिक नीति सुधार आयोग ईपीआरसी द्वारा दिए गए सुझावों को आधारगत रखते हुए पेट्रोलियम अन्वेषण, प्रसंस्करण, परिवहन परिशोधन, वितरण आदि में राज्य की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु राज्य में पेट्रोलियम निगम की स्थापना हेतु मंजूरी दी गई है। पेट्रोलियम निगम का गठन प्रक्रियाधीन है।इसी क्रम में राज्य सरकार द्वारा शहरी गैस वितरण हेतु तीन कंपनियों मैसर्स अडानी एनर्जी लि. को जयपुर एवं उदयपुर के लिए, मैसर्स हरियाणा गैस लि. को नीमराना एवं भीवाडी हेतु तथा मैसर्स रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. को राज्य के 26 शहरों कस्बों हेतु अनापत्ति पत्र जारी कर दिए गए हैं। पेट्रोलियम रेगुलेटरी बोर्ड से अनुमोदन के उपरांत शहरी गैस वितरण हेतु आधारभूत ढाँचा विकसित होगा। राज्य सरकार के ठोस प्रयासों से राज्य में कुल 19 ब्लॉकों लगभग 60 हजार वर्ग किमी में तेल, प्राकृतिक गैस एवं कोल बैड मीथेन की खोज का कार्य प्रगति पर है।

The Vishnoi Community

http://groups.google.co.in/group/vishnoi-community?hl=en
India, the land of Buddha, Mahavir and Gandhi is the homeland of compassion, nonviolence and peace. This is a land where people worship plants and animals as they see divinity in all life that God has created. It is not surprising to find a community who have given up their lives to protect trees and animals. They are Bishnois (a.k.a. the Vishnoi community).
Bishnois originally hailing from Thar, Rajasthan are scattered in the states of Haryana, Punjab, Uttar Pradesh, Gujarat, Madhya Pradesh and the metro cities of Mumbai and Delhi. But they are concentrated in smaller villages of Rajasthan. They are followers of Jambeshwar or Jamboji, a saint and seer who lived between 1452 to 1537 CE. He was born in the Peepasar village of Nagore district of Rajasthan and spent his last years in Mukham in Bikaner district. Both places have temples dedicated to his memory.There was a dreadful drought in these parts in 1476 CE. The area suffered loss of forest and animal life. People migrated to adjoining states. But Jamboji stayed on, working for the welfare of the less fortunate ones. He preached planting of trees when conditions improved. Along with devotion to God, and compassion to fellow animals, protection of nature figured in his teachings, which led to symbiosis with nature. Water-management received priority. There are no idols for Bishnois. Instead they nurture and love trees. Respect for flora and fauna received priority. The 29 tenets (Bish = twenty, noi=nine) earned the name of Bishnois for the followers of Jamboji.
Bishnoi settlements are like oasis in Thar, the desert area of Rajasthan with green-belts, birds, bucks and chinkaras which roam about fearlessly.
Traditionally rainwater was collected carefully in underground wells, at times well protected under lock and key. Nowadays, The Indira Gandhi Canal has changed the face of this arid area and there is greenery in plenty.
Khejarli Heros
In 1730 CE, Maharaja Abhayasingh of Jodhpur needed wood in great quantity to build a fortress and demanded wood or money from his subjects. The Bishnoi community did not obey him. He sent soldiers to their settlements to cut down the Khejari trees which grew in the area.
The first village they reached was Khejarli (abode of Khejari trees). There lived a courageous and dedicated lady by name Amrita who nurtured Khejari trees as her children. When the soldiers applied the axe, she came, pleaded to save the tree and failing which she hugged the tree. The soldiers be headed her and continued cutting. Amrita's last words were "A chopped head is cheaper than a felled tree", became a mission with the survivors. Her daughters and other villagers followed her and died in protecting trees and 363 people perished during this ruthless and cruel onslaught.
When the Maharaja came to know about the ghastly massacre, he rushed to the village and apologized. He promised to respect the conviction of Bishnois for ever. He forbade hunting and wood-cutting by means of law which is holds good even today in that area.
In memory of the 363 Bishnois, who died protecting their dear trees, a number of Khejarlis (acacias) are planted around the area. Khejarli village has beautiful groves where birds sing and blackbucks and chinkaras (gazelles) move about fearlessly.
The recent resentment of Bishnois over killing of blackbucks by an actor and his fun-loving party could be appreciated against this background. Bishnois are an exemplary community in environment protection not only in India, but for the whole of environment-destroying mankind.

Planning for a bright future : Together!

http://groups.google.co.in/group/vishnoi-community?hl=en
1. Democratic discussions for the community - To provide chat and e-groups facility at this site
2. Encouraging new genration to particiapte in community developmental activities
3. To make other people aware about Bishnoi Community and their involvement in the progress of the community
4. To stimulate the need for strengthening environmental and wild life protection activities: To provide a co-ordination in this regrad
5. To provide education and health information/ service to Bishnoi children and women once the internet penetration reaches the village level
5. To provide an international exposure to the community and also learn from our well wishers
6. To be used as a tool to conduct census for the community
7. To provide useful information services like matrimonials, announcements and other news dissemination, intimation of fairs, seminars etc.
8. To be used as an organising tool for literature storage, dissemination of Sakhis, Bhajans in MP3 format, Books (e.g. Shabadwani etc.)
9. To provide all kind of information about basic rituals at the time of child birth, marriage, death and other occasssions.
10. Last but perhaps, most important one, to provide the contents of this site in Hindi, too. This can be covered very soon

29 Rules or Commandments of Bishnoi Community

http://groups.google.co.in/group/vishnoicommunity?hl=en
"Untis Dharam ki aankri, Hridya dharey joi Jambhehswar aisey kahey, pher janam nahin hoi." (The Guru Jambheshwar sayeth: One who imbibes the twenty nine (29) articles of faith, he will be liberated and shall not have to take birth again)
Of the 29 commandments laid down by Guru Jambheshwar Ji, 8 (Eight) commandments have been prescribed to preserve biodiversity, and encourage good animal husbandry. These include non-sterlisation of bulls & keeping the male goats in a sanctuary; a prohibition against killing the animals and the cutting down of any type of green trees and providing protection to all life forms.The followers are even directed to see that the fire wood is devoid of small insects before burning it in their hearths. Even the wearing of Blue cloths is prohibited, beacuse the dyes for colouring them used to be obtained by cutting a large quantity of shrubs.
7 (Seven) commandments provide direction for healthy social behaviour. These direct the followers to live a simple, truthful life, commit no adultory, be content, be abstemious, pure and avoid making false arguments. Critising others is prohibited and in the event of being criticised by others, tolerance is to be shown.
10 (Ten) commandments are directed towards personal hygiene and maintaining good basic health. These provide simple instructions like drinking filtered water, taking a daily bath, improving sanitary conditions, prohibiting the use of opium, alcohol, tobacco, bhang & charas . Meat is specifically excluded from the diet of followers. Ritual prohibition for 30 days after child birth and 5 days during menstruation are prescribed, too.
Rest 4 (Four) commandments provide guidelines for worshipping God daily and always remember that God is omnipresent.On every Amavasya (Black moon), a fast should be observed and collective Havan (Homage through fire) is to be performed for the salvation of soul.
In a Bishnoi temple, no idol worshipping is allowed. Only a lamp with Ghee (Purified butter) is kept lit while praying, no elaborate ceremonies or rituals are performed by the priests. Bishnoi∈s are basically worshippers of Lord Vishnu. Vishnu,Vishnu tu bhan re prani is repeadlly recommended in the Shabadwani.
These 29 rules are simple to understand and easy to follow in day to day life . Most of these rules have a scientific basis (Except may be the prohibition of blue colored clothes. Even this had a socio-ecological relevance at the time of its formation) and are useful for the whole of mankind.

हां, मैं कहती हूं राजस्थान भगवान भरोसे ही है : वसुन्धरा / नोखा के मुकाम धाम में लगाई मुख्यमंत्री ने धोक

बीकानेर, मार्च। राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि भ्0 सालों से प्रदेश जूझ रहा है। ग्रह बदलते रहते हैं राज्य के भी ग्रह बदल गए हैं। राजस्थान कहीं पीछे नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं प्रदेश भगवान भरोसे है, हां मैं भी कहती हूं सब भगवान भरोसे ही है। भगवान नहीं होते तो हमारा अस्तित्व ही नहीं होता। शुक्रवार को जिले के नोखा तहसील के मुकाम धाम में अखिल भारतीय विश्नोई महासभा के खुले अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रुप में उन्होंने ये बात कही। विश्नोई समाज के मुक्तिधाम मुकाम स्थित गुरु जंभेश्वर जी महाराज के फाल्गुनी अमावस्या मेले के अवसर पर श्रीमती राजे ने जांभोजी की समाधि पर धोक लगाई तत्पश्चात् सभा में हजारों समाज के महिलाओं, पुरुषों को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में वे दो जाति मजहब के मामले हालाकिं राजस्थान के परिवार में देखे हैं मगर। जनसमुदाय को भगवान का अंश बताते हुए उन्होंने कहा कि आज विश्व में पर्यावरणीय बलिदान देने वाले इस समाज की तरह प्रत्येक व्यक्ति को इसी तरह अपने दिल को समर्पित करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने महासभा की विभिन्न मांगों में बीकानेर में कन्या छात्रावास के लिए ब् बीघा जमीन की स्वीकृति तथा अन्य सड़क मार्गों के कार्यों के शीघ्र निस्तारण की बात कही। उन्होंने स्वामी गोरधनजी महाराज द्वारा स्कूलों में नीले वर्ष को निषेध बताते हुए बदलने की बात पर जयपुर में शिक्षाधिकारियों से चर्चा के बाद निर्णय की बात कही। राजे ने महिलाओं से बालिका शिक्षा पर जोर देने के आह्वान व उनके लिए भ्0 प्रतिशत आरक्षण की बात के साथ कहा कि राजस्थान के स्वाभिमान को पैरों तले कोई ना रौंद सके इसकी जिम्मेदारी हम सबकी है। राजे को समाज की ओर से जबरदस्ती चांदी का मुकुट भी पहनाया गया। मधू, सीमा, पूनम विश्नोई ने चुनरी ओढ़ाई। सभा को राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष, लादूराम विश्नोई, हुक्माराम विश्नोई, स्वामी गोरधन महाराज, महंत रामानन्द आचार्य, मध्यप्रदेश के चिकित्सा मंत्री अजय विश्नोई, राज्य विधानसभा उपाध्यक्ष रामनारायण विश्नोई, मलखान सिंह ने भी सम्बोधित किया। मंच पर कांगे्रस नेता बीरबल विश्नोई, शहर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष गोपाल गहलोत, देहात महिलाध्यक्ष डा. मीना आसोपा, सांसद जसवन्त सिंह सहित समाज के अनेक गणमान्यजन मौजूद थे। झलकियां आरएएस अधिकारी रतन विश्नोई ने खरी-खरी बात कहते हुए कहा कि रोते रहोगे तो मरते रहोगे। महासभा के आज के दिन के कार्यक्रम को राजनैतिक मंच बनानेपर उन्होंने विरोध प्रकट कर जोरदार तालियां बटोरी। महंत रामानन्दजी ने अपने विचारों में समाज के हजारों लोगों कोअपने संबोधन में कर्तव्य-मान सम्मान के ध्यान रखने की बात के साथ भेदभाव भुलाने की बात कही। अमर ज्योति पत्रिका के सम्पादक ने कहा कि पर्यावरण की रक्षार्थ फ्म्फ् लोगों ने शहीदी विश्वभर में अनुकरणीय समाज है। निर्धारित समय से लगभग एक घण्टा और मिनट देर से यानि ख् बजकर ख्ख् मिनट पर राजे मदिंर स्थल पर पहुंची। सीआईडी के अधिकारी हाथ जोड़-जोड़ कर सभा में से पानी-पानी की आवाज करने वाले लोगों को रोकते नजर आ रहे थे। राजस्थान में लोक सेवा आयोग में विश्नाई समाज से सदस्य बनाने की महासभा की ओर से पहली मांग राजे के समक्ष रखी गई। विश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल व महासभा अध्यक्ष सांसद कुलदीप विश्नोई इस बार अनुपस्थित रहे क्योकिं भजनलाल के पौत्र की कल आकस्मिक मृत्यु हो गई। मौनसभा भी रखी गई।

Monday, December 1, 2008

घाट पर चुनावी पाट

Dingal Times! सांचौर ।सीलू में करीबन तीन करोड़ की लागत से बनने वाले नर्मदेश्वर घाट के शिलान्यास के मौके पर "सरकार" ने इस घाट पर राजनीति का पाट बिछाया। प्रत्येक जाति के व्यक्ति से ईट रखवाकर छत्तीस कौम के लोगों को एक जाजम पर लाने का प्रयास किया। इस दौरान लोगों ने जयकारे लगाकर मुख्यमंत्री का अभिवादन किया तो उन्होंने कहा कि छत्तीस कौम के लोगों का यह विश्वास ही उन्हें सफलता दिलाएगा। सीलू स्थित उद्घाटन स्थल पर करीब डेढ़ बजे सीएम हैलीकॉप्टर से उतरीं। हैलीपेड पर मुख्यमंत्री का कई आला अघिकारियों व भाजपा नेताओं ने अभिनंदन किया। गार्ड ऑफ ऑनर लेने के बाद सीएम पैदल ही पूजा स्थल की ओर चल दीं। इस दौरान कई महिलाओं ने चुनरी उढ़ाकर उनका सम्मान भी किया। पूजा स्थल पर गांव की बालिकाओं ने सामैया कर स्वागत किया। पूजा स्थल पर पंडित भागीरथ व्यास व पूरन्दर व्यास के आचार्यत्व में नर्मदा घाट व नर्मदेश्वर महादेव मंदिर की शिला का पूजन किया गया। मुख्यमंत्री के सामने 36 जातियों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने समाज की ओर से एक-एक ईट मुख्यमंत्री सौंपी, जिससे मुख्यमंत्री ने नींव की ईंट कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह शुभ अवसर है कि इस पुनीत कार्य के लिए 36 कौम आगे आई हैं। उन्होंने कहा यह पवित्र व 36 कौम का घाट हैं। पूजा व ईटे सौंपने के बाद सीएम नर्मदेश्वर महादेव मंदिर की नींव में कलश स्थापित किया व शिला रखकर कार्य का शुभारंभ करवाया। नर्मदा घाट व नर्मदेश्वर महादेव मंदिर की पटि्टका अनावरण के बाद उन्होंने बेरीकेटिंग के बाहर खड़े लोगों को माइक से संबोघित भी किया। इसके बाद वे बेरीकेटिंग के समीप गई और लोगों खासकर महिलाओं से स्नेहपूर्ण मिलीं। इस बीच कई लोगों ने अपने ज्ञापन भी दिए और समस्याएं रखीं। बाद में हैलीकॉप्टर का फ्यूल नहीं पहुंचने की सूचना पर करीब आघे घंटे तक कार्यकर्ताओं के बीच रहीं।
हाथ हिलाकर किया अभिवादन
सांचौर। मुख्यमंत्री जैसे ही हैलीपेड पर उतरीं तो बेरिकेटिंग के बाहर खड़े लोग वसुंधरा राजे जिन्दाबाद के नारे लगाने लगे। सीएम ने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया और शिलान्यास स्थल पर पहुंचने का इशारा किया। पैदल ही पहंुची पूजा स्थल

फिसल गई जुबान

फिसल गई जुबानसभा में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी जब यह कह रहे थे कि इस देश के लिए गांधी परिवार ने बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि देश के लिए इंदिरा गांधी शहीद हुई, इसके बाद कह दिया राहुल गांधी शहीद हो गए, इस कथन पर वहां उपस्थित लोगों ने अचरज किया और फिर हंसने लगे।

धरतीपुत्र हैं खफा!

धरतीपुत्र हैं खफा!
पर 10:22 PM प्रस्तुतकर्ता पंड़ित आसिफ अली
सांचौर।
नर्मदा नीर की चोरी के मामले में कार्रवाई नहीं होने से क्षेत्र के काश्तकार खफा हैं। सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से किसानों में रोष है।कई वर्षो से नर्मदा के पानी से सिंचाई का सपना संजोए किसानों को अभी पानी नसीब नहीं हुआ है।हालांकि जल्दबाजी में नेताओं की ओर से उद्घाटन कर दिए गए, लेकिन हकीकत कुछ ओर ही सामने आई। काफी समय बीत जाते के बाद भी काश्तकारों के खेतों में सिंचाई के लिए पानी नहीं पहुंचा है। माणकी, वांक व जैसला वितरिका का कमाण्ड क्षेत्र सिंचाई के लिए तैयार है। पहले इस वर्ष की सीयालु फसल के लिए किसानों का पानी मिलना तय था। किसानों ने अपने खेतों को तैयार कर उसमें समय रहते बीज भी बिखेर दिए। किसानों ने हजारों रूपए का कर्ज लेकर फव्वारा सेट व अन्य कृषि उपकरण खरीद लिए थे। लेकिन एक माह का समय गुजर जाने के बाद भी किसानों को नर्मदा का नीर नहीं मिला है।
मुम्बई में आतंकवादी हमला हिन्दुस्तान की आवाम पर हमला है साथ ही चुनौती भी। हिन्दुस्तान के लोग आतंकवादियों को मुंह तोड जवाब देंगे। आतंकवादियों के ऎसे कारनामों से हम डरने और बंटने वाले नहीं। यह बात कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी ने शनिवार को भीनमाल के शिवराज स्टेडियम में आयोजित चुनावी सभा में कही। गांधी ने यूपीए सरकार को आमजन की सरकार बताते हुए कहा कि इस सरकार ने सबसे बडी योजना रोजगार गारंटी और स्कूलों में बच्चों को खाना देने का कार्यक्रम चलाया। आदिवासियों के लिए ट्राईबिल बिल बनाया, लेकिन राजस्थान सरकार ने इन योजनाओं से जनता को लाभान्वित नहीं किया। राजस्थान में गरीब जनता व किसानों को हक मांगने पर गोली मिली। परमाणु करार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसका सबसे बडा फायदा देश की गरीब जनता को मिलेगा। उन्होंने राजस्थान में कांग्रेस को विजयी बनाने की अपील की। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि यह चुनाव देश की राजनीति को प्रभावित करेगा। नीतियों के आधार पर निर्णय करें ,ताकि लोकतंत्र मजबूत हो सके। नीतियां कांग्रेस के पास ही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के पास 52 हजार करोड के प्रस्ताव भिजवाए। इसमें से वह मात्र 26 हजार करोड ही खर्च कर पाई है। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हेमाराम चौधरी ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार ने किसानों के कर्जे माफ नहीं किए।जबकि कांग्रेस ने बिना कोई वायदा किए 72 हजार करोड रूपए के कर्ज माफ कर दिए। राहुल गांधी के साथ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव भंवर जितेन्द्रसिंह भी थे। मंच पर भीनमाल प्रत्याशी डॉ. समरजीत सिंह, रानीवाडा प्रत्याशी रतन देवासी, सांचौर प्रत्याशी सुखराम विश्नोई, जालोर प्रत्याशी रामलाल मेघवाल व आहोर प्रत्याशी भगराज चौधरी भी थे। पन्द्रह मिनट दिया संबोधन: राहुल गांधी हेलीकॉप्टर से महाविद्यालय के पीछे बनाए गए हेलीपेड पर उतरे। वहां से वाहन द्वारा शिवराज स्टेडियम पहुंचे, जहां राहुल गांधी 3 बजकर 20 मिनट पर स्टेडियम पहुंचे तथा 15 मिनट में अपना संबोधन पूरा किया।

शहीद अमृतादेवी विश्नोई पुरस्कार के लिये 15 नवंबर तक आवेदन आमंत्रित

वन तथा वन्य जीवों की सुरक्षा तथा संवर्धन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुरस्कृत होंगे
मध्यप्रदेश में वन संरक्षण तथा संवर्धन और वन्य जीवों की रक्षा के क्षेत्र में अति विशिष्ट और उत्कृष्ट करने वाली संस्थाओं और शासकीय, अशासकीय व्यक्तियों को राज्य शासन द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा। वन विभाग म.प्र. द्वारा इस उद्देश्य से शहीद अमृतादेवी विश्नोई पुरस्कार के लिए नामांकन आमंत्रित किये गये हैं। इस योजना के तहत पांच पुरस्कार दिये जायेंगे।
सदस्य सचिव, पुरस्कार चयन समिति एवं मुख्य वन संरक्षक (संयुक्त वन प्रबंधन#वन विकास अभिकरण) वन विभाग, सतपुड़ा भवन भोपाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार वन रक्षा एवं वन संवर्धन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्था (ग्राम पंचायत, संयुक्त वन प्रबंधन के अंतर्गत गठित समितियां एवं अशासकीय स्वयंसेवी संस्था) को शहीद अमृतादेवी पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपये नगद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। वन रक्षा एवं वन संवर्धन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति (अशासकीय) को 50 हजार रुपये नगद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। इसी तरह वन्य प्राणियों की रक्षा में उल्लेखनीय कार्य (अदम्य साहस एवं सूझबूझ का प्रदर्शन) करने वाले व्यक्ति (अशासकीय) को शहीद अमृतादेवी विश्नोई पुरस्कार के रूप में 50 हजार रुपये नगद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा।
वन रक्षा एवं वन संवर्धन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शासकीय सेवक को भी शहीद अमृतादेवी विश्नोई पुरस्कार 50 हजार रुपये नगद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जायेगा। वन्य प्राणियों की रक्षा में अदम्य साहस एवं सूझबूझ का प्रदर्शन में उल्लेखनीय कार्य करने वाले शासकीय सेवक को शहीद अमृतादेवी विश्नोई पुरस्कार 50 हजार रुपये नगद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा।
इस पुरस्कार योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी तथा नामांकन पत्र का प्रारूप मध्यप्रदेश में स्थित समस्त वनमंडलाधिकारी (क्षेत्रीय वन्य प्राणी) कार्यालय या वन विभाग, मध्यप्रदेश की वेबसाईट http://www.forest.mp.gov.in/ से प्राप्त की जा सकती है। निर्धारित फार्म पर भरे हुए नामांकन सम्बन्धित क्षेत्र के वनमण्डलाधिकारी (क्षेत्रीय#वन्य प्राणी) के कार्यालय में पांच प्रतियों में प्रस्तुत करना होंगे। ग्रामीण क्षेत्र के नामांकन जिला पंचायत#जनपद पंचायत की अनुशंसा सहित वनमण्डलाधिकारी को भेजना होगा। आवेदन भेजते समय लिफाफे पर शहीद अमृतादेवी विश्नोई पुरस्कार-2006 लिखा जायेगा। मध्यप्रदेश में स्थित समस्त वनमण्डलाधिकारी (क्षेत्रीय वन्य प्राणी) के कार्यालय में नामांकन प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 15 नवम्बर, 2006 निर्धारित की गई है।

ऐसे तो नहीं रुक सकता आतंकी हमला

ऐसे तो नहीं रुक सकता आतंकी हमला
नई दिल्ली [जरनैल सिंह]। न तो समुद्र में गश्त के लिए आवश्यक गश्ती जहाज हैं, न विमान। जंग नहीं हो रही हो तो फिर समुद्र तट से 12 मील तक किसी मर्चेट जहाज को रोक कर तलाशी लेने का अधिकार भी नहीं है। बंदरगाहों की सुरक्षा का जिम्मा बंदरगाह अथारिटी के पास है, तटरक्षक बलों के पास नहीं। इसलिए भारतीय नौसेना व तटरक्षक बल दुश्मन देश के समुद्री हमले को तो नेस्तनाबूद कर सकते हैं पर आतंकी हमले को नहीं। यह कहना है भारतीय तटरक्षक बल के पूर्व महानिदेशक वाइस एडमिरल अरुण कुमार सिंह का।
जिस भारतीय समुद्री सीमा में हर रोज तीन लाख छोटे-बड़े जहाज, बोट्स आते-जाते हों और रात को ऐसा लगता हो मानो समुद्र में दीवाली है, वहां सटीक खुफिया जानकारी के बिना काम नहीं चलेगा। बताना होगा कि आतंकी कब और कैसे आ सकते हैं। खास कर 'जब तटरक्षक बल के पास आवश्यकता का 25 फीसदी ही संसाधन हों और किसी भी बोट, जहाज को शक के आधार पर रोक कर तलाशी लेने का अधिकार न दिया गया हो।'
दुनिया भर में बंदरगाहों की सुरक्षा नौसेना या तटरक्षक बलों के हाथ में होती है। भारत में यह पोर्ट अथारिटी के पास है। चौदह विभाग हैं। एक हाथ को मालूम नहीं होता कि दूसरा हाथ कर क्या रहा है। तटरक्षक बलों की जिम्मेदारी तट से 12 मील आगे शुरू होती है। लेकिन तलाशी के अधिकार इतने सीमित हैं कि सिर्फ शक के आधार पर जहाज को हाथ नहीं लगा सकते। अगर किसी मर्चेट शिप की शक के आधार पर तलाशी ले ली और उसे 5-7 घंटे रुकना पड़ा तो वह कम से कम 5-10 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा ठोंक देगा। जंग के वक्त तटरक्षक बल व नौसेना को तलाशी के अधिकार मिलते हैं, शांति काल में नहीं। जबकि आतंकी हमले तो शांतिकाल में ही होते हैं।
तीन साल पहले समुद्री तट से 12 मील समुद्र के अंदर तक निगरानी व गश्त के लिए मैरीन पुलिस का गठन किया गया। इसके लिए जो 220 बोट इस साल तक आ जानी थीं उनका अभी तक अता-पता नहीं है। तब कैसे होगी निगरानी?
वाइस एडमिरल सिंह के मुताबिक सिर्फ 75 जहाज और 44 विमानों के बल पर भारत जैसे देश के समुद्री तटों को सुरक्षा नहीं मिल सकती। साउथ कोरिया जैसा देश जो कि छत्तीसगढ़ जितना है, उसके तटरक्षक बल के पास 260 जहाज हैं। जापान के तटरक्षक बल के पास 520 और अमेरिकी तटरक्षक बल के पास 2000 जहाज हैं। अमेरिका ने तो पेट्रियट कानून बना कर तटरक्षक बलों को इतना अधिकार दे दिया है कि वह समुद्र में 200 मील के घेरे तक किसी भी जहाज की शक के आधार पर तलाशी ले सकते हैं। चाहें तो शक के आधार पर ही जहाज को वापस लौटने को मजबूर कर दें। लेकिन हमारे यहां महानिदेशक-शिपिंग से लंबे समय से मर्चेट जहाजों को रोकने व तलाशी लेने का अधिकार मांगा जा रहा है, जिस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। जब तक तलाशी के अधिकारों के साथ कम से कम 268 जहाज, 113 विमान और 15 मानवरहित टोही विमान नहीं होते तब तक बात नहीं बन पाएगी।

अपनों ने ही की सरकार की फजीहत

अपनों ने ही की सरकार की फजीहत

Dec 02, 01:35 am
नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। मुंबई हमलों के बाद यूपीए के घटक दल अगर सरकार की इतनी फजीहत न करते तो शायद पाटिल को रवाना करने के बाद सरकार कुछ ठहर भी जाती, लेकिन रविवार को यूपीए की बैठक में घटक दलों ने जो तेवर दिखाए उसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री की रवानगी का फैसला भी लाजिमी हो गया। उस बैठक में घटक दलों का गुस्सा देख सरकार के प्रबंधक हक्का-बक्का थे और सहयोगियों के सवालों का उनके पास कोई जवाब नहीं था।
सूत्रों के मुताबिक रविवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निवास पर सर्वदलीय बैठक के पहले सरकार को सिर्फ इसलिए संप्रग की बैठक बुलानी पड़ी कि कहीं घटक दल उस बैठक में बखेड़ा न कर दें। सहयोगी दल सर्वदलीय बैठक में तो चुप रहे लेकिन इस बैठक में उन्होंने आतंकी हमले के बहाने सरकार के साढ़े चार साल के कामकाज के तरीके को ही धोकर रख दिया।
सूत्रों की मानें तो रेल मंत्री व राजद अध्यक्ष लालू यादव ने तो यहां तक कह दिया कि सुरक्षा मामलों, देश में हो रहे विस्फोटों, राज्यपालों और संवेदनशील पदों पर अफसरों की तैनाती जैसे मसलों में सरकार ने क्या कभी सहयोगियों से कोई मशविरा किया है। देखा जाए तो परोक्ष रूप से संप्रग नहीं, सिर्फ कांग्रेस की सरकार चल रही है। देश में जिस तरह हमले हो रहे हैं, सरकार सख्त और बड़े कदम उठाए बिना बच नहीं सकती। बताते हैं कि बैठक में मौजूद सरकार के अहम मंत्री - प्रणब मुखर्जी, पी. चिदंबरम, ए.के. एंटनी - के अलावा अहमद पटेल जैसे नेता निरुत्तर थे।
बैठक में मौजूद सपा महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव और अमर सिंह ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया। अमर सिंह ने सरकार से सीधा सवाल किया कि महज केंद्रीय गृह मंत्री के इस्तीफे का मतलब क्या है? जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख अपने बेटे के साथ फिल्म निर्माता रामगोपाल वर्मा को लेकर ताज होटल जाते हैं। देश की जनता गुस्से में है और उन्हें फिल्म बनाने की सूझ रही है। जबकि महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर.आर. पाटिल सबसे बड़े आतंकी हमले को 'छोटी-मोटी' घटना बता रहे हैं। एक नेता ने यहां तक कहा, 'हमारी याद सरकार को तभी आती है, जब भाजपा या राजग पर हमला बोलना होता है।'
सूत्र बताते हैं कि सरकार के खिलाफ बने माहौल को देखते हुए एनसीपी प्रमुख और कृषि मंत्री शरद पवार ने अपनी भड़ास कुछ यूं निकाली। उन्होंने अमर सिंह की ओर इशारा करते हुए कहा कि सपा ने तो कुछ महीने पहले ही ही इन्हें समर्थन दिया है। हम तो साढ़े चार साल से देख रहे हैं कि कैसे क्या करते हैं। बताते हैं कि उसके बाद कांग्रेस नेताओं ने सत्ता में फिर राजग के लौटने के खतरे का हवाला देकर संप्रग की एकजुटता पर ज्यादा जोर दिया।
यही वजह थी कि प्रधानमंत्री के यहां हुई बैठक में सहयोगियों का गुस्सा कुछ हद तक कम था। फिर भी सपा मुखिया मुलायम ने सरकार को वहां भी चेताने में कोताही नहीं की।

Sunday, November 30, 2008

वसुंधरा का मंदिर बनाए जाने पर विवाद

वसुंधरा का मंदिर बनाए जाने पर विवाद
पहले भी वसुंधरा राजे को देवी के रूप में दिखाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया था
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक अब जोधपुर ज़िले के एक गाँव में उनका मंदिर बनाकर उन्हें देवी के रूप मे स्थापित करना चाहते है.
लेकिन इस पर विवाद उठ खड़ा हुआ है. ग्रामीण इस मंदिर का विरोध कर रहे है.
दूसरी ओर मंदिर का विचार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के भी गले नही उतर रहा है.
जोधपुर के एक पुजारी हेमंत बोहरा ने अब मुख्यमंत्री का मन्दिर बनने का काम हाथ में लिया है.
इस पर सवाल उठ रहा है कि ये किसी राजनेता के दैविक अवतरण मे देखने की भक्तों की उत्कंठा है या सियासत में व्यक्ति पूजा की बढ़ती प्रवृत्ति का परिचायक.
इससे पहले बोहरा जोधपुर मे मुख्यमंत्री को अन्नपूर्ण देवी के रूप मे दिखने वाला एक रंगीन कैलेंडर प्रकाशित कर चुके है जिसमें वे देवी रूप में विराजमान थीं.
इसमें अटल, अडवाणी, राजनाथ सिंह ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति के रूप में मौजूद थे.
इस पर काफ़ी बावेला मचा था और मामला अदालत तक जा पहुँचा था.
मगर अब बोहरा अब उस देवी को एक भव्य मन्दिर में स्थापित करना चाहते हैं.
बोहरा कहते है,'' ये मंदिर उनके निजी भूखंड पर जोधपुर से 20 किलोमीटर दूर बेरू गाँव में बनेगा.''
विरोध
लेकिन इसके विरोध में गाँव के विश्नोई समुदाय के लोग उठ खड़े हुए है.
उनका कहना है कि प्रस्तावित जमीन उनके समुदाय का श्मशान है और वहाँ मंदिर नहीं बनाने देंगे और अब ये मामला पुलिस तक जा पहुँचा है.
किसी इंसान को मंदिर में देवी-देवता के रूप मे स्थापित करने का विचार किसी को भी रास नही आएगा. लेकिन ये चापलूसी का दौर है, पूरे कुएँ में ही भाँग पड़ी हुई है

कन्हैया लाल चतुर्वेदी, आरएसएस प्रवक्ता
मुख्यमंत्री के इस आराधक बोहरा का कहना है कि उन्होंने वसुंधरा राजे की दुर्गा स्वरूप मूर्ति के लिए मूर्तिकारों से बात कर ली है. मंदिर दक्षिण शैली का होगा और उसमे मुख्यमंत्री के कोई चार फ़ुट ऊँची मूर्ति विधिविधान से स्थापित की जाएगी.
इस गाँव के विश्नोई समुदाय ने घोषणा की है कि ऐसा कोई मंदिर उस जमीन पर नहीं बनने दिया जाएगा.
बेरू के मालाराम विश्नोई कहते है,'' ये जगह हमारे पारंपरिक बही खातों में श्मशान के बतौर दर्ज है. वहां समाधियाँ भी बनी हुई हैं.''
पुजारी और गाँववालों के इस विवाद से दूर सत्तारूढ़ भाजपा ने इस पूरे विवाद पर मौन साध रखा रहा है.
वैसे तो भाजपा व्यक्ति पूजा का विरोध करती रही है, पर यहाँ वो खामोश है. लेकिन आरएसएस को मंदिर का ये विचार रास नही आया है.
राज्य में आरएसएस के प्रवक्ता कन्हैयालाल चतुर्वेदी कहते हैं,'' किसी इंसान को मंदिर में देवी-देवता के रूप मे स्थापित करने का विचार किसी को भी रास नही आएगा. लेकिन ये चापलूसी का दौर है, पूरे कुएँ में ही भाँग पड़ी हुई है.''
उनका कहना था,'' कांग्रेस के लोग हर चीज के साथ इंदिरा गाँधी या राजीव गाँधी का नाम जोड़ देते है तो बिहार में लालू की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल की गई.ये सब ठीक नहीं है.''
भारत में धर्म और राजनीति की जुगलबंदी कोई नई नहीं हलेकिन अब सियासत उस मुकाम तक जा पहुँची है जहाँ राजनेता मंदिर और देवालयों में अपने मूर्तियाँ देखकर खुश होना चाहते हैं.